Nishabd on June 02, 2019 Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps हो जातें हैं हम भी कभी निशब्द, खो जाते हैं हम भी कभी बेवजह, क्या करूं ढुंढ ने निकला हूं खुद को, इसलिए कभी अंतर्मुखी तो कभी बहिर्मुखी बन जाता हूं। Comments
Comments
Post a Comment