Udhar-e-Hasi

उधार पर दी थी हमारी हंसी उन्हें यह सोच वो खुश रहेंगे और हमें भी रखेंगे,
लेकिन उन्होंने कर्ज चुकाना तो दूर हमारी उधारी तक नहीं लौटाई।

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