Udd chal kahin

धुल की तरह तू उड़ चल कहीं,
हवा के साथ बह चल कहीं,
पेड़ों जैसे लहरा तू कहीं,
नदियों की तरह समुद्र से मिल तू कहीं,
दिन में सूर्य और रात में चांद की तरह चमक तू कहीं,
डर काहे का अपने पंख फैला तू उड़ तो सही।

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